स्वामी नरसिंहानंद सरस्वती कौन? जिन्हें यूपी पुलिस ने किया नजरबंद, विवादों से है पुराना रिश्ता
स्वामी नरसिंहानंद सरस्वती: यूपी पुलिस ने किया नजरबंद, विवादों से है पुराना नाता
गाजियाबाद के डासना मंदिर के महंत और हिंदूवादी नेता स्वामी नरसिंहानंद सरस्वती एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया है और उनकी आवाजाही पर रोक लगा दी है। यह कार्रवाई स्वामी नरसिंहानंद द्वारा मौलवी तौकीर रजा की अपील के खिलाफ रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा के बाद की गई है।
स्वामी नरसिंहानंद का विवादों से पुराना रिश्ता
स्वामी नरसिंहानंद सरस्वती, जिनका असली नाम दीपक त्यागी है, अपने तीखे बयानों और हिंदू मुद्दों पर सक्रियता के लिए जाने जाते हैं। वह पहले समाजवादी पार्टी के सदस्य रहे हैं और वर्तमान में ‘हिंदू स्वाभिमान’ संस्था के संस्थापक हैं। इसके अलावा, उन्होंने ‘धर्म सेना’ का भी गठन किया है, जो हिंदू युवाओं और बच्चों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देती है।
स्वामी नरसिंहानंद का जन्म मेरठ में हुआ था, और उनके पिता सरकारी नौकरी में थे। वे रूस से कैमिकल टेक्नोलॉजी में शिक्षा प्राप्त करने के बाद मॉस्को और लंदन में काम करने गए थे, लेकिन अपनी मां की बीमारी के कारण भारत लौट आए और धार्मिक जीवन की ओर रुख किया। वह गाजियाबाद स्थित शिवशक्ति धाम डासना मंदिर के महंत हैं और पूर्व बीजेपी सांसद बीएल शर्मा को अपना गुरु मानते हैं।
मौलवी तौकीर रजा के खिलाफ विरोध
हाल ही में, मौलवी तौकीर रजा ने वक्फ बिल के विरोध में मुस्लिम समुदाय के लोगों को दिल्ली के रामलीला मैदान में एकजुट होने का आह्वान किया था। उन्होंने 24 नवंबर को इस मुस्लिम सम्मेलन का आयोजन किया था।
स्वामी नरसिंहानंद ने इसके विरोध में एक वीडियो जारी किया और 24 नवंबर को रामलीला मैदान में हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ की अपील की। उन्होंने कहा, “हिंदू समाज को शाहीन बाग और किसान आंदोलन जैसी गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए। हम सभी हिंदू 24 नवंबर को रामलीला मैदान में एकत्र होकर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।”
पुलिस की कार्रवाई और नजरबंदी
स्वामी नरसिंहानंद का यह आह्वान पुलिस के लिए चिंता का विषय बन गया, और गाजियाबाद पुलिस ने उनकी आवाजाही पर रोक लगा दी है। उन्हें नजरबंद कर दिया गया है और किसी भी सार्वजनिक आयोजन में भाग लेने से मना कर दिया गया है। पुलिस का कहना है कि उनके बयानों से समाज में तनाव बढ़ सकता है, और इसलिए यह कदम उठाया गया है।
समाज में प्रतिक्रिया
स्वामी नरसिंहानंद के समर्थन में कुछ लोग हैं, जिन्होंने उनके बयानों को समाज के हित में बताया है, जबकि कई लोग उनके दृष्टिकोण को विवादास्पद मानते हैं। उनके विरोधियों का कहना है कि ऐसे बयानों से समाज में असहमति और तनाव बढ़ सकता है।