खलील मलिक संभल
यूपी के जनपद सम्भल में सोशल मीडिया और अन्य स्रोतों के माध्यम से एक सूचना प्रसारित की जा रही थी कि सदर कोतवाली क्षेत्र में पुलिस अभिरक्षा के दौरान एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। यह सूचना वायरल हो गई थी और कई लोगों ने इसे गंभीर घटना के रूप में फैलाया। हालांकि, मामले की जांच के बाद यह पता चला है कि यह सूचना पूरी तरह से झूठी और बिना आधार के है।
सदर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अनुज तोमर ने इस मामले की जांच की और बताया कि 23 दिसंबर 2024 को किसी भी व्यक्ति को अवैध तरीके से पुलिस अभिरक्षा में नहीं लिया गया था और न ही किसी व्यक्ति की पुलिस अभिरक्षा के दौरान मृत्यु हुई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वायरल हो रही पोस्ट पूरी तरह से झूठी है और किसी तरह की पुलिस अभिरक्षा में किसी व्यक्ति की मृत्यु का कोई मामला सामने नहीं आया है।
प्रभारी निरीक्षक अनुज तोमर ने बताया
इस प्रकार की झूठी सूचनाएं समाज में डर और अराजकता फैलाने के उद्देश्य से फैलायी जाती हैं, जो न केवल पुलिस की छवि को नुकसान पहुँचाती हैं, बल्कि समाज में गलतफहमियाँ भी उत्पन्न करती हैं। उन्होंने कहा कि इस वायरल पोस्ट की सच्चाई के बारे में जांच की गई और पूर्ण साक्ष्य के आधार पर इसे खंडित किया गया।
उन्होंने बताया कि वायरल पोस्ट के आधार पर झूठी जानकारी फैलाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आवश्यक विधिक कार्यवाही की जा रही है। पुलिस विभाग सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही झूठी और अफवाहों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है और ऐसे मामलों की समय रहते जांच की जाती है ताकि सच्चाई सामने लाई जा सके।
यह भी स्पष्ट किया गया
किसी भी सूचना या घटना के बारे में सच जानने के लिए हमेशा आधिकारिक पुलिस और प्रशासनिक सूत्रों से ही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, क्योंकि सोशल मीडिया पर कभी-कभी झूठी और भ्रामक सूचनाएं फैलाई जाती हैं। ऐसे में पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा दी जाने वाली जानकारी पर विश्वास करना महत्वपूर्ण है।
इस मामले में पुलिस ने मामले की जांच पूरी कर ली है और इस झूठी सूचना के प्रसार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। पुलिस विभाग ने समाज से अपील की है कि वे इस प्रकार की झूठी सूचनाओं को फैलाने से बचें और किसी भी मामले की सत्यता जानने के लिए पुलिस और प्रशासन से संपर्क करें।
साथ ही, पुलिस ने चेतावनी दी है
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो और किसी भी तरह की गलतफहमी पैदा न हो।
इस पूरी घटना ने यह भी साबित किया कि सोशल मीडिया पर सच और झूठ की पहचान करना आवश्यक है, क्योंकि इस तरह की गलत सूचनाएं समाज में अव्यवस्था और भय का माहौल पैदा कर सकती हैं। पुलिस विभाग द्वारा की गई जांच और खंडन ने इस मामले की सच्चाई को स्पष्ट किया और यह सुनिश्चित किया कि किसी भी तरह की गलत सूचना को दबाया जाएगा।