अलीगढ़ NEWS : हॉस्पिटल की लिफ्ट ख़राब लिफ्ट में फसे मरीज के 7परिजनों की पुलिस फोर्स ने बचाई जान।

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अलीगढ़

संवाददाता : संजय भारद्वाज 

रामघाट रोड स्थित केके हॉस्पिटल में कल रात एक बड़ा हादसा होते-होते बचा, जब अस्पताल की लिफ्ट अचानक खराब हो गई और उसमें सात लोग फंस गए। यह घटना अस्पताल के अंदर जब हुई, तो स्थिति गंभीर हो गई क्योंकि लिफ्ट ऐसी जगह फंसी थी, जहां से लोगों को निकालना बहुत मुश्किल हो गया था। घटनास्थल पर फंसे लोगों ने तुरंत 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद स्थानीय पुलिस फोर्स ने कड़ी मेहनत और सूझबूझ के साथ सभी को लिफ्ट से बाहर निकाला।

हादसा और फंसे लोग

मयंक राज सिंह, जो डीसीबी बैंक के ब्रांच मैनेजर हैं और स्वर्ण जयंती नगर, अलीगढ़ के निवासी हैं, ने इस घटना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनके पिता राजकुमार केके अस्पताल में भर्ती थे। वह अपने रिश्तेदारों नरेंद्र पाल सिंह, प्रशांत सिंह, अनुज कुमार सिंह, ज्योति सिंह, चेतना सिंह, और वीना सिंह के साथ लिफ्ट में जा रहे थे, तभी अचानक लिफ्ट बंद हो गई और सभी लोग उसमें फंस गए।

लिफ्ट के फंसने के कारण स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई क्योंकि अधिक समय तक लिफ्ट में फंसे रहने से नरेंद्र पाल सिंह और वीना सिंह की हालत बिगड़ने लगी। इस स्थिति को देखते हुए मयंक राज सिंह ने तुरंत 112 नंबर पर कॉल किया और अस्पताल के लिफ्ट में फंसे होने की सूचना दी। पुलिस को तुरंत सूचित किया गया, और वे मौके पर पहुंचे।

पुलिस की सूझबूझ से निकाले गए लोग

स्थानीय पुलिस फोर्स ने तुरंत मौके पर पहुंचकर कड़ी मेहनत और मशक्कत से लिफ्ट को खोलने का प्रयास किया। पुलिस की सूझबूझ और प्रयासों के कारण सभी फंसे हुए लोग लिफ्ट से सुरक्षित बाहर निकाले गए। हालांकि, इस घटना के दौरान नरेंद्र पाल सिंह और वीना सिंह की हालत गंभीर हो गई थी और उन्हें त्वरित चिकित्सा की आवश्यकता पड़ी।

लिफ्ट की समस्या पुरानी

फंसे हुए लोगों ने बताया कि यह पहली बार नहीं था जब केके हॉस्पिटल की लिफ्ट में किसी को फंसा हुआ देखा गया हो। अस्पताल में यह समस्या काफी समय से चल रही है और लोग इस लिफ्ट में आए दिन फंसते रहते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल की लिफ्ट सही से काम नहीं करती है और अक्सर लिफ्ट खराब हो जाती है। इससे पहले भी कुछ समय पहले 11:30 बजे एक मरीज के साथ लिफ्ट में फंसे लोग थे। यह समस्या अब एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है और अस्पताल प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

अस्पताल की लापरवाही पर सवाल

मयंक राज सिंह ने अस्पताल की लापरवाही को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि अस्पताल का स्टाफ उनकी समस्याओं का समाधान करने की बजाय केवल पैसे लेने में व्यस्त है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अब तक अस्पताल ने उनसे 70 हजार रुपये की राशि ले ली है, लेकिन इसके बावजूद न तो लिफ्ट ठीक की गई है और न ही अस्पताल की अन्य सुविधाओं में कोई सुधार किया गया है।

नरेंद्र पाल सिंह ने भी आरोप लगाया कि अस्पताल के कर्मचारियों ने केवल उनके मरीज का बीपी डाउन होने पर ही उन्हें भारी शुल्क लिया, जबकि लिफ्ट की समस्या और अन्य अस्पताल की सुविधाओं की स्थिति ठीक नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल के डॉक्टर्स और संचालकों ने इस मुद्दे पर कभी भी उनसे संपर्क नहीं किया और न ही उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया।

एसएसपी का बयान

इस घटना के बाद, एसएसपी ने भी कोतवाली पुलिस के इस प्रयास की सराहना की, जिन्होंने सूझबूझ और कड़ी मेहनत से फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। एसएसपी ने इसे एक सराहनीय कार्य मानते हुए पुलिस की तत्परता की तारीफ की और कहा कि इस तरह के प्रयास हमेशा सामुदायिक सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं।

अस्पताल प्रशासन पर कार्रवाई की मांग

अब यह सवाल उठता है कि क्या अस्पताल प्रशासन अपनी लापरवाही को सुधारने के लिए कदम उठाएगा? लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि अस्पताल में जो समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, क्या उनकी जिम्मेदारी प्रशासन और डॉक्टर्स की नहीं बनती? स्थानीय लोगों और फंसे हुए मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल की सुविधाओं को सुधारने की जरूरत है, ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े।

यह घटना न केवल अस्पताल की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अस्पतालों को अपने ढांचे और सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। सुरक्षा और मरीजों की देखभाल प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

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