अलीगढ़
संवाददाता : संजय भारद्वाज
मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक प्रोफेसर ने छात्र बनकर अपने ही विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ 20 शिकायतें डाक द्वारा अधिकारियों को भेजी। यह मामला अब चर्चा का विषय बन गया है और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इसकी गंभीरता से जांच की जा रही है। शुरुआत में प्रोफेसर ने किसी भी तरह की शिकायत करने से इनकार किया, लेकिन जब कड़ी पूछताछ की गई, तो उसने एसएसपी (एसिनियर सुपीरियर पुलिस ऑफिसर) के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
यह घटना एएमयू के एक प्रसिद्ध विभाग से जुड़ी हुई है, जहां प्रोफेसर ने एक असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। आरोपों में कार्यस्थल पर अनुशासनहीनता, प्रशासनिक नियमों की अवहेलना, और अन्य कार्यों में अनियमितताएँ शामिल थीं। दिलचस्प बात यह है कि शिकायतें करने वाला व्यक्ति स्वयं एक प्रोफेसर था, लेकिन उसने इन शिकायतों को छात्र के रूप में प्रस्तुत किया। उसने विभिन्न डाक-पत्रों के माध्यम से 20 अलग-अलग शिकायतें संबंधित अधिकारियों को भेजीं, जिससे असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ जांच प्रक्रिया शुरू हो गई।
जब यह मामला प्रशासन के ध्यान में आया,
तो जांच प्रक्रिया शुरू की गई। शुरूआत में प्रोफेसर ने इन शिकायतों से इनकार किया और किसी भी प्रकार की शिकायत करने से मना कर दिया। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी और कड़ी पूछताछ की गई, प्रोफेसर ने एसएसपी के सामने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। उसने बताया कि उसने जानबूझकर छात्र के रूप में शिकायतें की थीं, ताकि असिस्टेंट प्रोफेसर को निशाना बनाया जा सके और उसे विभागीय समस्याओं में उलझाया जा सके।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए एएमयू के रजिस्ट्रार ने तुरंत कार्रवाई की और प्रोफेसर की जांच के लिए एक पत्र जारी किया। रजिस्ट्रार का कहना था कि यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन) के नियमों के तहत इस प्रकार की अनुशासनहीनता पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उनका यह भी कहना था कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल को बनाए रखने के लिए ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अब इस मामले की जांच विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की जा रही है,
यह देखा जा रहा है कि क्या प्रोफेसर के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। रजिस्ट्रार ने कहा कि यदि दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें यूजीसी के नियमों के तहत कड़ी सजा दी जाएगी। यह मामला सिर्फ विश्वविद्यालय के अंदर की एक घटना नहीं है, बल्कि यह समाज में कार्यस्थल की अनुशासनहीनता और कर्मचारियों के आपसी संबंधों पर भी सवाल उठाता है।
इस घटना के बाद से एएमयू के अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों में भी एक तरह का डर और असमंजस उत्पन्न हो गया है। कुछ लोग इसे व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम मान रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह घटना विश्वविद्यालय में व्याप्त कुछ और गहरी समस्याओं को उजागर करती है। अब यह देखने वाली बात होगी कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है और क्या यह घटना शैक्षणिक संस्थानों में कार्यशैली के मामलों पर भविष्य में विचार विमर्श की ओर बढ़ेगी।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित किया कि कार्यस्थल पर आपसी रिश्ते और व्यक्तिगत मनमुटाव कभी-कभी गंभीर विवादों का कारण बन सकते हैं, जो सिर्फ संबंधित व्यक्तियों तक सीमित नहीं रहते, बल्कि पूरे संस्थान की छवि को भी प्रभावित करते हैं।