शामली NEWS : किसानों की समस्याओं पर ध्यान न देने से बढ़ी उनकी नाराजगी..?
शामली
संवाददाता : पंकज उपाध्याय
थानाभवन के अंबाला हाईवे साइट पर किसानों का धरना पिछले पांच दिनों से जारी है, जिसमें वे ठंड में दिन-रात न्याय की गुहार लगा रहे हैं। किसानों की मुख्य समस्या यह है कि अंबाला हाईवे के निर्माण कार्य के कारण उनकी कृषि भूमि के बीच का हिस्सा हाईवे में समाहित हो गया है, जिसके कारण उन्हें खेतों तक पहुंचने में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह धरना तब शुरू हुआ जब हाईवे अथॉरिटी के अधिकारी किसानों की समस्याओं की अनदेखी करते रहे और किसानों को कोई समाधान नहीं मिला।
किसान अपनी ही भूमि के बीच में अंबाला हाईवे के निर्माण से प्रभावित हो गए हैं।
उनके खेत अब दो हिस्सों में बंट चुके हैं, और उनके पास खेतों तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। खेतों में पानी पहुंचाने के लिए ट्यूबवेल एक ओर है, जबकि दूसरा छोर उनके खेत का है, लेकिन हाईवे के बीच में आने के कारण पानी की आपूर्ति में भी समस्या आ रही है। किसानों के लिए यह एक बड़ी चिंता बन गई है, क्योंकि बिना रास्ते के खेतों तक जाना संभव नहीं हो पा रहा। किसान इसे एक गंभीर मुद्दा मानते हुए इसे हल करने के लिए कई बार हाईवे अथॉरिटी के अधिकारियों से संपर्क कर चुके हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी ने मौके पर आकर समस्या का समाधान नहीं किया।
धरने के पहले दिन से ही किसानों ने अपनी आवाज़ उठाने के लिए उच्च अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उन्होंने हाईवे अथॉरिटी के अधिकारियों के खिलाफ तंबू लगाकर धरना देना शुरू कर दिया। उनका उद्देश्य सिर्फ यह था कि वे अपने खेतों तक पहुंचने का रास्ता चाहते हैं, ताकि वे अपनी खेती की प्रक्रिया जारी रख सकें। हालांकि, किसानों ने हाईवे पर निर्माण कार्य में किसी भी तरह की रुकावट नहीं डाली, बल्कि उन्होंने शांतिपूर्वक अपने खेतों में ही धरना शुरू किया था।
पांचवे दिन, जब परियोजना अधिकारी अंबाला हाईवे पर पहुंचे,
तो किसानों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया और समस्या के समाधान की मांग की। इस पर परियोजना डायरेक्टर आशीम बंसल ने किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुना और आश्वासन दिया कि वे इसे उच्च अधिकारियों के पास लेकर जाएंगे और जल्द ही समाधान ढूंढेंगे। परियोजना अधिकारी ने यह भी कहा कि किसान अपनी समस्याओं को लिखकर दें ताकि वे मामले को उच्च स्तर पर उठाकर जल्दी समाधान पा सकें। इस आश्वासन के बाद किसानों ने धरना 21 दिसंबर तक स्थगित करने का निर्णय लिया।
किसानों के संघर्ष में उनके साथ कई लोग शामिल हुए। जैसे कि जिला पंचायत सदस्य पति मेनपाल सैनी, किसान संगठन के नरेश तोमर, सभासद अनिल कुमार, और सभासद विनोद सैनी ने भी समर्थन किया। इन लोगों ने किसानों के हक के लिए आवाज उठाई और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों से दबाव बनाया।
गांव लतीफगढ़ के कई किसान, जिनकी भूमि अंबाला हाईवे की जद में आ गई है,
वे इस समस्या से जूझ रहे हैं। उन्हें मुआवजा तो मिल गया है, लेकिन कुछ किसानों की भूमि का बीच का हिस्सा अब हाईवे में आ गया है, जिसके कारण उनका खेत दो हिस्सों में बंट गया है और उनका काम करने में बहुत समस्या हो रही है। यदि इस समस्या का समाधान जल्दी नहीं किया जाता है, तो यह किसानों के लिए और भी अधिक परेशानी का कारण बन सकता है।
किसान इस बात से भी नाराज हैं कि हाईवे अथॉरिटी ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। वे मानते हैं कि सीमेंट के पाइप डालकर या पुल बनाकर इस समस्या का समाधान आसानी से किया जा सकता था, लेकिन अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। किसान इस बात से भी परेशान हैं कि उच्च अधिकारियों तक अपनी आवाज़ नहीं पहुंच पा रही है और उनके मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है|