किसान आंदोलन की यादें ताजा
ज्ञापन सौंपने से पहले, भाकियू लोकहित के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रह्लाद सिंह पूनिया ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वर्ष 2020-21 में दिल्ली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में लगभग 13 महीने तक किसान आंदोलन चला था। इस आंदोलन के दौरान किसानों ने अपनी आवाज उठाई थी और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की थी। किसानों का कहना था कि इन कानूनों से उनकी आजीविका पर खतरा था और यह कानून उनके हितों के खिलाफ थे।
प्रह्लाद सिंह पूनिया ने बताया कि आखिरकार केंद्र सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया, लेकिन सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादे अब तक पूरे नहीं किए गए हैं। इन वादों में किसानों को मिलने वाली विभिन्न सुविधाएं और समर्थन मूल्य की गारंटी जैसी बातें शामिल थीं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की उपेक्षा के कारण किसानों को आज भी अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिल रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन जारी
प्रह्लाद सिंह पूनिया ने यह भी कहा कि सरकार की अनदेखी के कारण संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा हरियाणा और पंजाब बॉर्डर पर फिर से आंदोलन शुरू कर दिया गया है। इस आंदोलन में कई किसानों ने अपनी जान गंवा दी है, लेकिन सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसानों के जीवन और उनकी सुरक्षा के लिए लड़ाई है, और सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
पंजाब के किसान नेता का अनशन
भाकियू लोकहित के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह का भी उल्लेख किया, जो 16 दिनों से अनशन पर हैं। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार उनकी हालत चिंताजनक हो गई है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब किसानों को उनकी समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी। प्रह्लाद सिंह पूनिया ने कहा कि अगर अनशन पर बैठे किसान नेता को कुछ भी होता है, तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से केंद्र सरकार की होगी।
ज्ञापन में उठाई गई मांगें
भाकियू लोकहित द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में केंद्र सरकार से निम्नलिखित प्रमुख मांगें की गई हैं:
- किसानों से तत्काल वार्ता – सरकार से अपील की गई है कि वह जल्द से जल्द किसानों से वार्ता कर उनकी समस्याओं का समाधान निकाले।
- किसान नेता के अनशन का समाधान – यह मांग की गई है कि केंद्र सरकार अनशन पर बैठे किसान नेता को राहत देने के लिए तुरंत कदम उठाए और उनकी स्वास्थ्य स्थिति को गंभीरता से ले।
- कृषि बिलों पर पुनः विचार – कृषि बिलों के वापस लिए जाने के बाद भी सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें जल्द पूरा किया जाए।
- किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी – किसानों के उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दी जाए, ताकि उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके और उनकी आजीविका की सुरक्षा हो।
प्रतिनिधि मंडल की बैठक
प्रतिनिधि मंडल में भाकियू लोकहित के जिलाध्यक्ष कपिल सिरोही, सुरेन्द्र सिंह एडवोकेट, नारायण सिंह, रुमाल सिंह, नरेन्द्र नीति एडवोकेट, श्यौदान सिंह, अमरजीत सिंह, यशवीर सिरोही और अन्य किसान नेता शामिल थे। इन नेताओं ने एडीएम से मुलाकात की और उन्हें राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में किसानों की मांगों को जोर देकर प्रस्तुत किया गया, और कहा गया कि सरकार को इस पर तुरंत विचार करना चाहिए।
पुलिस प्रशासन को चेतावनी
प्रतिनिधि मंडल ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया, तो आगामी दिनों में आंदोलन और बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से न देखकर किसानों के जीवन और उनके भविष्य से जुड़ी एक गंभीर समस्या के रूप में देखना चाहिए।
समाज में किसानों की स्थिति
किसानों के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करते हुए, भाकियू लोकहित के नेता प्रह्लाद सिंह पूनिया ने कहा कि सरकार को किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने होंगे। किसानों की उपेक्षा और उनकी समस्याओं की अनदेखी से उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है, जिससे ग्रामीण इलाकों में हताशा का माहौल बढ़ रहा है।