Village of Soldiers: ढिकोली हर घर से निकल रहा है गर्वित फौजी

Village of Soldiers: ढिकोली हर घर से निकल रहा है गर्वित फौजी
Village of Soldiers: भारतीय सेना के बहादुर जवानों की गाथा यहां के गांव ढिकोली में नए मोड़ पर पहुंच रही है जो देश की सेवा में अपना समर्पण दिख रहा है.
बागपत मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर बसे करीब सोलह हजार आबादी वाले इस ढिकोलो गांव(Village of Soldiers) ने अपने वीर सपूतों के माध्यम से देश के लिए गर्व का एहसास कराया है. गांव के बाहर बोर्ड लगा है फौजियों के गांव ढिकोली में स्वागत है मुख्य चौराहे पर शहीद धर्मपाल सिंह की प्रतिमा लगी है।
Village of Soldiers
शहीद धर्मपाल सिंह की प्रतिमा(Village of Soldiers)
ढिकोली गांव के निवासियों ने अपने बच्चों को भारतीय सेना में सेवा के लिए प्रेरित किया है और इसका परिणाम सामने आ रहा है गांव के करीब हर घर से निकल रहा है एक फोजी जो अपने पूर्वजों की उच्च परंपरा को जारी रखते हुए सेना में सेवा का निर्णय ले रहा है।

स्वतंत्रता संग्राम से लेकर कोई सा भी युद्ध हो यहां के वीर सैनिकों ने दिया है अपना योगदान

ढिकोली के लोगों ने आजाद हिंद फौज के अलावा सिंगापुर युद्ध  दूसरे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेकर अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था. खजान सिंह, लहरी सिंह, धर्मपाल, बेगराज, अनूप सिंह, बलबीर पंडित, रामभिक माली, नादान सिंह ,वेद गुजराती, आदि अनेक वीर सपूतों ने जंग आजादी के आंदोलन को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी

चार पीढ़ियों से कर रहे हैं सेना में रहकर देश की सेवा

ढकोली के 90 वर्षीय लच्छी राम बताते हैं उनके पिता बिसंबर सिंह ने सिंगापुर युद्ध मे भाग लिया था लच्छी राम ने भी फोज में रहकर 1962,65, और 1971 का युद्ध लड़ा हे  लच्छी राम के पुत्र रामबीर भी फोज में रहे है अब उनका पोता सुनील सेना में रहकर देश सेवा कर रहा है
90 वर्षीय लच्छी राम(Village of Soldiers)
90 वर्षीय लच्छी राम(Village of Soldiers)

पाकिस्तान में घुसकर सिखाया सबक निशानी के तौर पर उठा ले आए दुश्मनों का लोहे का संदूक

ढिकोली के ही कैप्टन राज सिंह ने 1962,65 और 71 का युद्ध लड़ा था  साल 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान बम लगने से उनका बाया कंधा खराब हो गया था उसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तानी फौज को सबक सिखाते हुए निशानी के तौर पर वहां की सेना का एक लोहे का संदूक उठा लाए थे । जो आज भी उनके घर में मौजूद है परिवार वालों ने उनकी फौजी की एक-एक चीज संजोकर रखी है कैप्टन राज सिंह के तीन पुत्र आज भी नेवी, एयर फोर्स, और फौज में रहकर देश की सेवा कर रहे हैं।
कैप्टन राज सिंह(Village of Soldiers)
कैप्टन राज सिंह(Village of Soldiers)

हर युद्ध में यहां के सैनिकों ने दिया था दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब

शीशपाल सिंह हरपाल सिंह सुंदर सिंह 1965 में पाकिस्तानी फौज से लड़ते हुए शहीद हो गए थे शहीद होने से पहले कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था 1971 की जंग में पाकिस्तानियों को सबक सिखाते हुए सोराज सिंह शहीद हो गए थे अब तक करीब ढिकोली के आठ सैनिक दुश्मनों से युद्ध लड़ते हुए शहीद हो चुके हैं गांव के मुख्य चौराहे पर ही शहीद धर्मपाल सिंह के नाम से गेट और प्रतिमा लगी हुई है गांव में एक सैनिक भवन भी है कारगिल युद्ध में भी यहां के कई जवानों की अहम भूमिका रही है.
यहां के वीरों ने देश की सेवा में अपने पूरे जीवन को समर्पित करने का संकल्प किया है वह न केवल अपने परिवार और गांव के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं.
गांव के लोग  गर्वित है आज भी करीब 600 से ज्यादा युवा देश सेवा के सेना में है और  पूर्व सैनिक और ग्रामीण फौजी व बच्चों को समर्थन और प्रेरणा देने के लिए एक साथ खड़े हैं ढिकोली गांव देशभक्ति और सेना में सेवा के माध्यम से अपना योगदान देने में गर्व महसूस कर रहा है.
ढिकोली  गांव की अनोखी कहानी देशभक्ति और सेना में देश सेवा के माध्यम से हर किसी को एक सकारात्मक संदेश देती है कि हमारा गर्व हमारा सेना के वीरों के साथ है और हम सभी मिलकर देश के लिए कुछ कर सकते हैं.

संक्षेप: Village of Soldiers

ढिकोली गांव, जो बागपत मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, एक बहादुर जवानों के गांव की कहानी है। गांव ने अपने वीर सपूतों के माध्यम से देश के लिए गर्व का अहसास कराया है और यहां के नागरिकों ने सेना में सेवा का समर्पण किया है।

पूछे जाने वाले प्रश्न: Village of Soldiers

ढिकोली गांव कहां स्थित है?

ढिकोली गांव बागपत मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है।

कौन-कौन से युद्धों में गांव के वीर सैनिकों ने भाग लिया है?

गांव के वीर सैनिकों ने 1962, 1965, और 1971 के युद्धों में भाग लिया है।

गांव के कितने सैनिकों ने अब तक युद्धों में शहीद होकर देश की सेवा की है?

अब तक गांव के कई सैनिक युद्धों में शहीद हो चुके हैं।

गांव में कैसे बच्चों को सेना में सेवा के लिए प्रेरित किया जाता है?

गांव के लोग अपने बच्चों को सेना में सेवा के लिए प्रेरित करते हैं, और इसका परिणाम है कि कई युवा गांव से सेना में सेवा कर रहे हैं।

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