उपेक्षाओं से विलुप्त हो रही लोनी की एतिहासिक धरोहर
उपेक्षाओं से विलुप्त हो रही लोनी की एतिहासिक धरोहर
खुदाई के दौरान लवणासुर राक्षस और मुगल काल के मिले अवशेष
कमल किशोर
गाजियाबाद।
पुरातत्व विभाग और प्रशासन की उपेक्षा से लोनी की एतिहासिक धरोहर विलुप्त(Loni’s historical heritage getting extinct due to neglect) हो चली है। इतिहासकारों की मानें तो लोनी के बागराणप गांव में खुदाई के दौरान मुगल शासनकाल के कुछ अवशेष मिले थे। विभिन्न दंतकथा के अनुसार इस क्षेत्र से लवणासुर राक्षस का नाम भी जुडे होने की जानकारी मिलती हैं।
मुगल काल में एक किले का निर्माण किया गया था। किले के पास करीब 800 बीघे का तालाब था। तालब के दौरान ओर मीनारें खड़ी थीं। किले की दीवारें पत्थर की ईंटों से करीब पांच फिट चौड़ी बनवाई गई थीं। तालाब के नीचे भी एक पत्थर लगवाए गए थे। इस किले से एक सुरंग लाल किले दिल्ली तक जाती थी। किले से दूषित पानी के निकासी के लिए भी सुदृढ व्यवस्था की गई थी। दूषित पानी निकाले के लिए गमले जैसे पाइपों से सीवर लाइन बिछवाई गई थी। आबादी बढ़ने और देख रेख न होने के कारण एतिहासिक विलुप्त हो गई।
लवणासुर राक्षस का भी जुड़ा है नाम
इतिहासकारों की मानें तो यहां लवणासुर नामक राक्षस का राज था। भगवान परशुराम के आदेश पर भगवान श्रीराम ने अपने अनुज भाई शत्रुघ्न को भेजकर उसका वध कराया था। लवणासुर के नाम पर पहले क्षेत्र का नाम लवणी फिर बाद में लोनी रखा गया है। यहां अब भी किले, तालाब के अवशेष देखने को मिलते हैं।
एतिहासिक स्थल पर रहने वाले लोग परेशान
लोनी का बागराणप इतिहास के पन्नों में भले ही अपनी विशेष जगह बनाए है। लेकिन यहां रहने वाले लोग मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। गांव के रास्ते जर्जर हाल हैं। तालाब में कालोनी बसने के कारण जल निकासी की भारी परेशानी है। समुचित दूरी पर खम्भे न होने से गलियों में तारों के जाल बिछे हुए हैं।
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