इतिहास की धरोहर रटौल बागपत का शीश महल | Sheesh Mahal Of Rataul Baghpat
राजेश शर्मा, बागपत। जिला बागपत न केवल रटौल आम ही नहीं बल्कि अपनी एतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर जैसे बड़ा गांव स्थित मंसा देवी व जैन मंदिर, खटटा पहलादपुर स्थित महेश मंदिर, बलैनी स्थित पुरामहादेव मंदिर, गुफा वाला मंदिर, बाल्मिकी आश्रम व रटौल का शीश महल(Sheesh Mahal of Rataul Baghpat) के लिए भी जाना जाता है। यदि शीश महल की बात करें तो इसे करीब दो सौ वर्ष पूर्व बनवाया गया था।
इतिहास की धरोहर रटौल बागपत का शीश महल | Sheesh Mahal Of Rataul Baghpat Highlight
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इतिहास की धरोहर रटौल बागपत का शीश महल | Sheesh Mahal Of Rataul Baghpat
विशेष चिन्हित अलग पहचान
रटौल आम के साथ शीश महल की अलग पहचान है, जिसमें कांच की शीशों का कार्य होता है और महल की भव्यता को चार चांद लगाते हैं।
सिद्दीकी परिवार का योगदान
महल को बनवाने वाले जनाब हकीमुद्दीन सिद्दीकी और जनाब शम्सुद्दीन सिद्दीकी, जो सहायक कलेक्टर और असिस्टेंट कमीशनर रेवेन्यू रहे, ने इस क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भोपाल के सदर मंजिल की झलक
महल की दीवारें भोपाल के सदर मंजिल की झलक दिखाती हैं, जो महल को और भी आकर्षक बनाता है।
कांच से बनी दीवारें
महल की दीवारों पर ईंटों के साथ कांच का उपयोग किया गया है, जिससे सूरज की रोशनी को कमरों में पहुंचाया जा सकता था।
रटौल आम के साथ शीश महल की है अलग पहचान: रटौल बागपत का शीश महल
रटौल आम के साथ शीश महल की है अलग पहचान: इस महल की ऊँची दीवारों पर लगे कांच शीश महल की भव्यता में चार चांद लगाने का काम करते हैं। बागपत के लोगों की माने तो जनाब हकीमुद्दीन सिद्दीकी व उनके भाई जनाब शम्सुद्दीन सिद्दीकी ने इस शीश महल को बनवाया था।
कौन थे जनाब हकीमुद्दीन सिद्दीकी व जनाब शम्सुद्दीन सिद्दीकी
कौन थे जनाब हकीमुद्दीन सिद्दीकी व जनाब शम्सुद्दीन सिद्दीकी: जनाब अज़ीज़ुद्दीन अहमद सिद्दीकी गोंडा, उत्तर प्रदेश में सहायक कलेक्टर थे। उनके चार जनाब हकीमुद्दीन, शम्सुद्दीन, वलीउल्लाह, और आफ्ताबुद्दीन बेटे थे। जनाब हकीमुद्दीन सिद्दीकी डिप्यूटी कलेक्टर व उनके भाई जनाब शम्सुद्दीन सिद्दीकी असिस्टेंट कमीशनर रेवेन्यू के पद पर कार्यरत थे। कार्यकाल पूरा करने के बाद जनाब हकीमुद्दीन सिद्दीकी भोपाल रियासत के ‘वजीर-ए-माल’ बन गए। उन्होंने रटौल गाँव में “शीश महल“ की तामीर का विचार किया। यह भोपाल की सदर मंजिल का हू-ब-हू एक छोटा-सा नमूना था।
भोपाल के शीश महल की दिखाई देती झलक
भोपाल के शीश महल की दिखाई देती झलक: रटौल जिला बागपत स्थित शीश महल में भोपाल के सदर मंजिल की झलक दिखाई देती है। 200 वर्ष पहले तीन हजार वर्ग गर्ज में शीश महल बनाया गया था। इसे बनाने में लखोरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। चूने की चिनाई से लखोरी ईंटों को जोड़कर शीश महल नाया गया है। इसमें 15 कमरे बने हैं। सभी कमरों के आगे घूमने और बैठने के लिए बरामदा बनाया गया है। शीश महल में एक बैठक बनाई गई थी। जिसका नाम प्रेम कुटी था। बैठक में बाल्मिकी समाज के लोगों को भी सम्मान दिया जाता था। समाज के लोग अन्य के समक्ष कुर्सी पर बैठा करते थे। शीश महल में पक्षियों के घरौंदे बनाए गए थे। वैवाहिक व सामाजिक कार्य कराने के लिए महल परिसर में पांच सौ वर्ग गज का पार्क बनाया गया था।
क्यो कहा गया शीश महल
क्यो कहा गया शीश महल: महल को बनाने में शीशे का अधिक प्रयोग किया गया था। न केवल महल की खिड़कियों बल्कि इसकी दीवारों पर भी शीशे लगाए गए थे। सूरज की रोशनी दीवार पर लगे शीशो पर पड़ने के बाद कमरों में जाती थी। जिससे कमरों पर प्रकाश की कमी नहीं रहती थी। महल के दीवारों पर ईंटों से डिजाइन बनाया गया था। इन डिजाइनों पर भी शीशों का इस्तेमाल किया गया था। बागपत के लोगों का मानना है कि शीश महल ऐसी ऐतिहासिक शख्सियत का घर है, जिसने सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक विकास के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रटौल गाँव की धरती हमें दिखाती है कि कोई छोटा-सा स्थान भी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संपत्ति का साक्षी बन सकता है। रटौल गाँव ने अपने ऐतिहासिक पारंपरिक धरोहर को संजोय रखा है। इस गाँव का इतिहास सदैव ही हमारे दिलों में बसा रहेगा।
सारांश: इतिहास की धरोहर रटौल बागपत का शीश महल
बागपत जिले के रटौल गाँव में स्थित शीश महल भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस महल को लगभग 200 वर्ष पहले जनाब हकीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके भाई जनाब शम्सुद्दीन सिद्दीकी ने बनवाया था। इसमें शीशे का अद्वितीय डिजाइन और बागपत के स्थानीय समाज के लोगों के लिए समर्पित कमरे शामिल हैं। महल की उच्च दीवारों पर लगे कांच की शीशें इसे अद्वितीय बनाती हैं।