घटना के वक्त, शाम की शिफ्ट में मजदूर अपने कार्यों में व्यस्त थे, तभी यह हादसा हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गैस का रिसाव इतना तेज था कि लोगों को चक्कर आने लगे, आंखों में जलन महसूस होने लगी और सांस लेना मुश्किल हो गया। गैस के प्रभाव से महिलाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं और उनकी हालत बिगड़ने लगी। हालांकि, उन्हें तत्काल बाहर निकाला गया और पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
महिलाओं की स्थिति स्थिर, अस्पताल में इलाज जारी
फैक्ट्री में गैस की चपेट में आई महिलाओं की हालत गंभीर थी, लेकिन अस्पताल में उनके इलाज के बाद अब उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि समय पर उपचार नहीं मिलता, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। महिलाओं को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका उपचार किया गया और उनकी स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है।
प्रशासन की तत्परता, फैक्ट्री बंद की गई
घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया। एडीएम सिटी अमित कुमार भट्ट ने बताया कि गैस रिसाव की सूचना मिलते ही पानी, पुलिस और रेस्क्यू टीम को घटनास्थल पर भेजा गया। फैक्ट्री का काम तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई। एडीएम अमित कुमार भट्ट ने कहा, “यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम इसकी जांच करेंगे कि फैक्ट्री संचालक ने सुरक्षा मानकों का पालन क्यों नहीं किया। गैस रिसाव का असली कारण क्या है, यह जांच का विषय है। यदि किसी प्रकार की लापरवाही पाई जाती है तो फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।”
स्थानीय लोगों में दहशत, प्रशासन से अपील
घटना की खबर फैलते ही फैक्ट्री के आसपास के इलाके में दहशत का माहौल बन गया। स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। हामिद हुसैन, एक स्थानीय निवासी ने कहा, “इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। सरकार को फैक्ट्रियों की नियमित जांच करनी चाहिए। हमारी जान हमेशा खतरे में रहती है।” इस घटना ने औद्योगिक सुरक्षा की खामियों को उजागर किया है, जहां सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता। गैस रिसाव जैसी दुर्घटनाएं तब होती हैं जब फैक्ट्री प्रबंधन लापरवाही बरतता है या सुरक्षा उपायों की अनदेखी करता है।
विशेषज्ञों की राय: सुरक्षा उपायों की आवश्यकता
विशेषज्ञों का मानना है कि औद्योगिक इलाकों में नियमित निरीक्षण और कड़े नियमों की जरूरत है। उनका कहना है कि फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण और सुरक्षा प्रशिक्षण दिए जाने चाहिए, ताकि ऐसे हादसों से बचा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि गैस रिसाव जैसी दुर्घटनाएं तभी होती हैं जब फैक्ट्री प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच सुरक्षा के मामलों में गंभीरता की कमी होती है।
फैक्ट्री प्रबंधन पर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा मानकों की गंभीरता पर सवाल खड़े करती है। पुलिस और प्रशासन ने फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों की जांच शुरू कर दी है, लेकिन स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित निरीक्षण और कड़े नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए केवल कड़ी जांच और सुरक्षा उपायों का पालन ही एकमात्र समाधान हो सकता है।
स्थिति नियंत्रण में
फिलहाल, गैस रिसाव की स्थिति नियंत्रण में है। प्रशासन और पुलिस टीम ने फैक्ट्री में पूरी जांच शुरू कर दी है और इसके साथ ही आसपास के इलाके की स्थिति पर भी नजर रखी जा रही है। अस्पताल में भर्ती महिलाओं की हालत स्थिर बताई जा रही है और उनका इलाज जारी है। प्रशासन ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए आगे की कार्रवाई का आश्वासन दिया है।