अलीगढ़ NEWS : मुस्लिम विश्वविद्यालय में उर्दू अकादमी की इमारत पर कब्जे को लेकर विवाद…?

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अलीगढ़

संवाददाता : संजय भारद्वाज

मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अक्सर किसी न किसी कारण से चर्चा में रहता है, और इस बार यह विश्वविद्यालय अपने उर्दू विभाग के उर्दू अकादमी की इमारत पर कब्जे को लेकर विवादों में है। विश्वविद्यालय को यह आरोप लग रहा है कि उसने उर्दू अकादमी के लिए दी गई 4 करोड़ रुपये की अनुदान राशि से बनी इमारत का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया। इसके बजाय, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उस इमारत को उर्दू अकादमी के बजाय उर्दू विभाग को सौंप दिया। यह कदम अब उर्दू अकादमी के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गया है, क्योंकि वह जर्जर अवस्था में अपनी बचे-खुचे संसाधनों के साथ कार्य कर रही है।

4 करोड़ रुपये का अनुदान, फिर क्या हुआ?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 2006 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को उर्दू अकादमी की इमारत के लिए 4 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था। इस राशि से वर्ष 2012 में एक नई इमारत का निर्माण हुआ। लेकिन जब इमारत तैयार हो गई, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे उर्दू अकादमी के बजाय उर्दू विभाग को दे दिया। उर्दू अकादमी को उसकी अपनी बिल्डिंग के बजाय तीन कमरे की एक पुरानी और जर्जर अवस्था में बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया।

डिप्टी डायरेक्टर डॉ. जुबेर शादाब ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि उर्दू अकादमी को मिली इमारत में न तो कोई इंफ्रास्ट्रक्चर था और न ही कोई बजट। 4 करोड़ रुपये के अनुदान से जो फर्नीचर और कंप्यूटर लाने थे, वे भी उर्दू विभाग ने अपने कब्जे में ले लिए। परिणामस्वरूप, उर्दू अकादमी न तो अपने उद्देश्यों को पूरा कर पा रही है और न ही अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभा पा रही है।

उर्दू अकादमी की स्थिति

उर्दू अकादमी का मुख्य उद्देश्य था बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड जैसे राज्यों में उर्दू और उर्दू माध्यम के विद्यालयों के शिक्षकों की शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि करना। इसके लिए अकादमी को सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन करना था। हालांकि, डॉ. जुबेर शादाब के अनुसार, उर्दू अकादमी द्वारा केवल दो-तीन बार ही सेमिनार आयोजित किए गए हैं, और वह भी मुख्य रूप से विश्वविद्यालय के अपने स्कूल के शिक्षकों के लिए। अन्य राज्यों के उर्दू स्कूलों के शिक्षकों को आमंत्रित करने का काम इसलिए नहीं हो सका, क्योंकि अकादमी को UGC से कोई अनुदान नहीं मिल सका।

4 करोड़ में क्या नहीं मिला?

जैसा कि डॉ. जुबेर शादाब ने बताया, उर्दू अकादमी के पास न तो बिल्डिंग, लाइब्रेरी, कॉन्फ्रेंस हॉल, कंप्यूटर लैब, और न ही अन्य आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर हैं। 4 करोड़ रुपये के अनुदान से अकादमी को जो सुविधाएं मिलनी थीं, वह उर्दू विभाग ने अपने कब्जे में ले लीं। इनमें 15 कंप्यूटर, 65 कुर्सियां, 18 मेज, 33 अलमारी, 9 एसी, और सोफा सेट शामिल थे। इन सभी चीजों को उर्दू विभाग ने अपनी जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया और अकादमी को कुछ भी नहीं दिया। इस कारण से उर्दू अकादमी अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाने में असमर्थ रही है।

डिप्टी डायरेक्टर ने किया आरोप

डॉ. जुबेर शादाब ने बताया कि 2018, 2019 और 2020 में उर्दू अकादमी की इमारत को कब्जे से मुक्त करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र भेजे गए थे। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई भी जवाब नहीं आया। उन्होंने यह भी कहा कि अकादमी को न तो कोई इंफ्रास्ट्रक्चर मिला है और न ही उसे मिलने वाली सुविधाओं को विभाग ने छोड़ने का नाम लिया है। इसके कारण उर्दू अकादमी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ है और यह स्थिति विश्वविद्यालय प्रशासन की अनदेखी का परिणाम है।

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