अलीगढ़
संवाददाता : संजय भारद्वाज
थाना लोधा क्षेत्र स्थित खेरेश्वर चौराहा पर एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसमें कार और ट्रक की टक्कर के बाद दबंगों ने ट्रक ड्राइवर को बुरी तरह से पीटा। यह घटना सड़क पर हुई मारपीट और पुलिस की उदासीनता को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, और अब यह मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही है।
घटना उस वक्त घटित हुई जब एक कार चालक की गलती से उसकी कार, एक ट्रक से टकरा गई। टक्कर के बाद गुस्साए दबंग कार सवारों ने ट्रक ड्राइवर को बीच सड़क पर खींच लिया और उसे सरेआम पीटने लगे। ट्रक ड्राइवर को खिड़की से नीचे खींच कर सड़क पर गिरा दिया गया और उसके बाद उसे बेरहमी से लात-घूंसों से मारा गया। इस मारपीट में ड्राइवर को गंभीर चोटें आईं, लेकिन गनीमत यह रही कि ट्रक का गियर इंजन स्टार्ट होने के बावजूद पड़ा हुआ था, जिससे कोई बड़ा हादसा होने से बच गया। किसी समझदार व्यक्ति ने ट्रक को रोककर उसे काबू किया, जिससे और कोई नुकसान नहीं हुआ।
इस घटनाक्रम के दौरान पुलिस मौके पर पहुंची,
लेकिन जब तक पुलिस पहुंची, तब तक दबंग कार सवारों ने ड्राइवर को बुरी तरह से पीट लिया था। घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस का खौफ इन दबंगों के बीच बिल्कुल भी नहीं था। पुलिस के सामने ही ये लोग ड्राइवर को पीटते रहे, और पुलिस ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय केवल ड्राइवर को बचाने का प्रयास किया। यह पुलिस की नाकामी को उजागर करता है, क्योंकि अगर पुलिस समय रहते ठोस कदम उठाती, तो शायद इस प्रकार की घटना से बचा जा सकता था।
वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि ड्राइवर को सड़क पर गिरा कर बेरहमी से मारा जा रहा था, और आसपास खड़े लोग तमाशा देख रहे थे, लेकिन कोई भी घटनास्थल पर जाकर हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं कर रहा था। ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और लोगों ने पुलिस की उदासीनता की कड़ी आलोचना की। साथ ही, यह भी सवाल उठाया गया कि आखिर पुलिस इस तरह की घटनाओं को रोकने में सक्षम क्यों नहीं है, और क्या दबंगों का कानून से कोई डर नहीं रह गया है?
इस घटना के बाद पुलिस अधिकारियों ने कहा है
कि वे मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, ट्रक ड्राइवर के परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि घटना के बाद पुलिस ने लापरवाही दिखाते हुए उनकी मदद करने के बजाय, दबंगों को ही सहयोग दिया। परिवार वालों का कहना था कि अगर पुलिस समय रहते हस्तक्षेप करती तो इस तरह की बेरहमी से पिटाई नहीं होती।
समाज में इस प्रकार की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं, क्योंकि खुलेआम सड़क पर इस तरह की हिंसा और पुलिस की निष्क्रियता से यह सवाल उठता है कि क्या सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था का कोई मायना रह गया है। लोगों में यह डर बैठ गया है कि अगर पुलिस ऐसे मामलों में अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहती है, तो आम जनता को न्याय की उम्मीद किससे होगी?
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर काफी बहस छिड़ गई है,
और लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या हमें अपनी सुरक्षा के लिए केवल पुलिस पर निर्भर रहना चाहिए, या फिर नागरिकों को खुद इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है, और उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।