गाजियाबाद NEWS : प्रयुक्त कारों की खरीद-फरोख्त पर जीएसटी नियम: एक महत्वपूर्ण बदलाव..

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गाजियाबाद

सवांददाता : प्रदीप पांचाल

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 प्रयुक्त कारों की खरीद-फरोख्त में हाल ही में जीएसटी (माल और सेवा कर) से जुड़ा एक महत्वपूर्ण बदलाव सामने आया है, जो व्यवसायों और व्यक्तिगत बिक्री दोनों पर असर डालता है। गाजियाबाद के चार्टर्ड एकाउंटेंट हर्ष गर्ग ने इस बदलाव की पूरी जानकारी दी और बताया कि जीएसटी केवल उन व्यवसायों द्वारा दिया जाएगा जो पंजीकृत हैं और जिनकी बिक्री पर सकारात्मक मार्जिन है। इसका मतलब यह है कि जीएसटी का भुगतान तभी होगा जब वाहन का बिक्री मूल्य अधिग्रहण लागत से अधिक हो।

क्या है नया नियम?

जीएसटी का भुगतान केवल “पंजीकृत व्यक्ति” यानी ऐसे व्यवसायों द्वारा किया जाएगा जो प्रयुक्त वाहन की खरीद-बिक्री में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। इन व्यवसायों के लिए एक अहम शर्त यह है कि बिक्री पर सकारात्मक मार्जिन होना चाहिए, यानी वाहन का बिक्री मूल्य उसके अधिग्रहण मूल्य से अधिक होना चाहिए। यदि बिक्री पर कोई सकारात्मक मार्जिन नहीं बनता, तो जीएसटी लागू नहीं होगा।

व्यक्तिगत बिक्री पर जीएसटी का अनुप्रयोग

हर्ष गर्ग ने यह स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत स्तर पर की गई वाहन बिक्री पर कोई जीएसटी लागू नहीं होगा। यानी, यदि कोई व्यक्ति अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदी गई कार को बेचता है, तो उस पर जीएसटी का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। यह नियम केवल व्यवसायों पर लागू होता है, जो पुराने और प्रयुक्त वाहनों की खरीद-बिक्री में लगे होते हैं।

मूल्यह्रास का प्रभाव

इसके अलावा, जीएसटी नियमों में एक और अहम पहलू है – मूल्यह्रास। जिन व्यक्तियों ने अपने वाहनों पर मूल्यह्रास (depreciation) का दावा किया है, उनके लिए वाहन की मूल्यह्रास-समायोजित कीमत को अधिग्रहण लागत के रूप में माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति ने वाहन पर मूल्यह्रास का दावा किया है, तो उसकी वास्तविक लागत उस वाहन की खरीद के समय की कीमत के मुकाबले कम हो सकती है।

उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति ने एक वाहन 20 लाख रुपये में खरीदी थी और उस पर 8 लाख रुपये का मूल्यह्रास (depreciation) किया है, तो अब उस वाहन की वास्तविक लागत 12 लाख रुपये होगी, भले ही उसने वाहन 20 लाख रुपये में खरीदी हो। इसी तरह, यदि वाहन की बिक्री कीमत 10 लाख रुपये है, तो इस पर जीएसटी लागू नहीं होगा क्योंकि बिक्री मूल्य (10 लाख रुपये) अधिग्रहण लागत (12 लाख रुपये) से कम है, जिससे नकारात्मक मार्जिन होगा।

जीएसटी का उदाहरण से स्पष्ट समझना

आइए, इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, एक पंजीकृत व्यक्ति ने 10 लाख रुपये में एक पुराना वाहन बेचा। इस वाहन का मूल खरीद मूल्य 20 लाख रुपये था, और उसने इस पर 8 लाख रुपये का मूल्यह्रास दावा किया था। इसका मतलब यह है कि इस वाहन की वास्तविक लागत 12 लाख रुपये मानी जाएगी। अब, यदि यह वाहन 10 लाख रुपये में बेचा गया, तो इस पर कोई जीएसटी लागू नहीं होगा। इसका कारण यह है कि बिक्री मूल्य (10 लाख रुपये) अधिग्रहण लागत (12 लाख रुपये) से कम है, जिससे 2 लाख रुपये का नकारात्मक मार्जिन बनता है।

दूसरी ओर, यदि वही वाहन मूल्यह्रास के बाद 12 लाख रुपये में खरीदी गई थी और उसे 15 लाख रुपये में बेचा गया, तो यहां 3 लाख रुपये का सकारात्मक मार्जिन होगा, जिसके कारण 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू होगा। इस उदाहरण से स्पष्ट है कि जीएसटी केवल तब लागू होता है जब बिक्री पर सकारात्मक मार्जिन बनता है, यानी जब वाहन की बिक्री मूल्य उसकी वास्तविक अधिग्रहण लागत से अधिक होती है।

व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

जीएसटी का उद्देश्य केवल उन लेनदेन पर कर लगाना है जहां कारोबारी मुनाफा कमा रहे हैं। इस आधार पर, यदि एक पंजीकृत व्यक्ति या व्यापार ने वाहन को कम कीमत पर बेचा है और उसमें कोई लाभ नहीं हुआ, तो उस पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। इस कारण, प्रयुक्त वाहनों की बिक्री में शामिल व्यवसायों को इन नियमों के बारे में पूरी जानकारी होना आवश्यक है, ताकि वे सही तरीके से जीएसटी का पालन कर सकें।

व्यापारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी बिक्री पर सकारात्मक मार्जिन हो, तभी जीएसटी लागू होगा। यही नहीं, यदि व्यापारी के पास पहले से किसी वाहन पर मूल्यह्रास का दावा है, तो उसे सही तरीके से समायोजित कर अपनी अधिग्रहण लागत का निर्धारण करना होगा।

 

 

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