बुलंदशहर NEWS : कैमिकल अपशिष्ट जलाने से हवा में घुला जहर, एक्यूआई 300 के पार…

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बुलंदशहर 

संवाददाता:अमित सक्सेना 

प्रदूषण की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है, और अब यह हालात इस कदर गंभीर हो गए हैं कि शहर का वायुमंडल प्रदूषित हो चुका है। हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें कोतवाली देहात इलाके के गांव गेसुपुर में मेडिकल अपशिष्ट जलाए जाने का मामला सामने आया है। इस प्रक्रिया से निकलने वाला जहरीला धुआं न केवल स्थानीय निवासियों के लिए खतरे का कारण बन रहा है, बल्कि इस धुएं के कारण बुलंदशहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के पार पहुँच गया है, जो खतरनाक स्तर पर है।

प्रदूषण से बढ़ रही समस्याएं

बुलंदशहर में फैलते प्रदूषण की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां का AQI 300 के ऊपर पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है। इस स्तर के प्रदूषण के कारण सांस संबंधित बीमारियां, जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन समस्याएं बढ़ने लगी हैं। हालांकि, प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी इन घटनाओं को नजरअंदाज करते हुए अपनी ड्यूटी को सही से निभाने में विफल साबित हो रहे हैं।

वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि गांव के कुछ लोग मेडिकल अपशिष्ट को खुलेआम जला रहे हैं, जिससे अत्यधिक धुआं उठ रहा है। यह धुआं सीधे वायुमंडल में मिल रहा है, जिससे हवा में मौजूद ऑक्सीजन की गुणवत्ता घट रही है और घातक रसायन हवा में समा रहे हैं। ऐसे में स्थानीय निवासियों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है, और उनका स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।

प्रदूषण विभाग की लापरवाही

यह मामला वायरल होने के बावजूद प्रदूषण विभाग के अधिकारी पूरी तरह से लापरवाह बने हुए हैं। उनकी तरफ से कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। जबकि यह पूरी घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रदूषण विभाग के अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार नहीं हैं? यदि ऐसा ही चलता रहा, तो भविष्य में प्रदूषण से होने वाली बीमारियों में और इजाफा हो सकता है।

स्थानीय लोग भी इस बात से नाराज हैं कि जब अफसर अपने घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल कर सुरक्षित और आरामदायक वातावरण में रहते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ वे उन लोगों के बारे में सोचने को तैयार नहीं हैं जो खुले वातावरण में सांस ले रहे हैं और प्रदूषण का शिकार हो रहे हैं।

डीएम ने लिया संज्ञान

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश सिंह ने इस वीडियो का संज्ञान लिया है। उन्होंने प्रदूषण विभाग के अधिकारियों को इसकी जांच करने और आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी का कहना है कि यह घटना बहुत गंभीर है और इसकी जांच की जाएगी। इसके साथ ही, यह भी बताया गया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

हालांकि, यह जरूरी है कि प्रदूषण विभाग अब जल्द से जल्द कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि इस प्रकार के मेडिकल अपशिष्ट को जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके। ऐसा करने के लिए उन्हें कठोर कदम उठाने होंगे, जैसे कि दोषियों पर जुर्माना लगाना और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम लागू करना।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रदूषण के कारण उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। कई लोग सांस संबंधित बीमारियों से जूझ रहे हैं, और अस्पतालों में मरीजों की तादाद में तेजी से वृद्धि हो रही है। लोग इस बात से चिंतित हैं कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया, तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

कुछ स्थानीय लोग यह भी कहते हैं कि प्रशासन को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए तत्काल कदम उठाने चाहिए। उन्हें न केवल इस मामले की जांच करनी चाहिए, बल्कि भविष्य में प्रदूषण फैलाने वाली किसी भी गतिविधि पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम भी उठाने चाहिए।

क्या है समाधान?

इस तरह के प्रदूषण की समस्याओं का समाधान केवल प्रशासनिक उपायों से ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की जागरूकता से भी संभव है। स्थानीय निवासियों को मेडिकल अपशिष्ट को जलाने जैसी गतिविधियों के खतरों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण विभाग को ऐसी घटनाओं पर नज़र रखनी चाहिए और कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

समाज में सख्त नियम और जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की जरूरत है, ताकि लोग इस प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूक हो सकें। इसके साथ ही, गांवों और शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।

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