बागपत NEWS : बंदरों के हमलों से ग्रामीणों में डर का माहौल..
बागपत
संवाददाता : मोहित शर्मा
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लहचौड़ा और घिटोरा गांव में बंदरों के बढ़ते आतंक ने स्थानीय लोगों की रातों की नींद उड़ा दी है। बंदरों के झुंड के हमलों से ग्रामीण खासे परेशान हैं और प्रशासन से तुरंत राहत की मांग कर रहे हैं। हाल ही में लहचौड़ा गांव में बुधवार रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें बंदरों ने बाइक सवार तीन युवकों पर हमला कर दिया। हमले के कारण तीनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके ठीक बाद गुरुवार को घिटोरा गांव में भी बंदरों ने एक युवक को अपना शिकार बना लिया और उसे गंभीर चोटें आईं।
लहचौड़ा गांव में बंदरों का हमला
लहचौड़ा गांव में बुधवार रात उस समय अफरा-तफरी का माहौल बन गया, जब दिल्ली से ड्यूटी पर जा रहे तीन युवक बाइक से लौट रहे थे। हनुमान मंदिर के पास जब वे बाइक चला रहे थे, तब अचानक बंदरों के झुंड ने उन पर हमला कर दिया। इस हमले से घबराए युवकों ने बाइक पर नियंत्रण खो दिया और बाइक फिसलने से तीनों गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों की पहचान राजा, आकाश और शुभम के रूप में हुई है। स्थानीय लोगों ने तुरंत घायलों को नजदीकी निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया, जहां उनका इलाज जारी है।
ग्रामीणों के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब बंदरों ने इस तरह हमला किया हो। बंदरों के झुंड ने पहले भी कई बार लोगों पर हमला किया है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि लगभग 400 बंदरों का एक बड़ा झुंड गांव में आतंक मचाए हुए है। ये बंदर लोगों के घरों में घुसते हैं, फसलें बर्बाद करते हैं और खासकर बच्चों और बुजुर्गों को निशाना बनाते हैं। पिछले एक साल में बंदरों ने लगभग 50 से ज्यादा लोगों को घायल किया है।
घिटोरा गांव में भी बंदरों का हमला
लहचौड़ा गांव के बाद अब गुरुवार को घिटोरा गांव में भी बंदरों का आतंक देखने को मिला। इस बार मोनू नामक युवक पर बंदरों के झुंड ने हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना के बाद ग्रामीणों ने तत्काल उसे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया। इस तरह के हमले से गांव के लोग बेहद डरे हुए हैं और उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता हो रही है।
ग्रामीणों की शिकायत और प्रशासन से अपील
लहचौड़ा और घिटोरा के ग्रामीणों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपील की है। ग्रामीणों का कहना है कि इन बंदरों के हमलों से न केवल लोग घायल हो रहे हैं, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह जान का खतरा भी बन गया है। वे प्रशासन से बंदरों को पकड़ने के लिए विशेष टीम का गठन करने की मांग कर रहे हैं ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।
ग्रामीणों का कहना है कि इन बंदरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, यदि प्रशासन ने समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। खासकर खेतों में काम करने वाले लोग और छोटे बच्चे इन हमलों का शिकार हो रहे हैं, जिससे गांववासियों का जीवन कठिन हो गया है।
पशु चिकित्सकों और वन विभाग की भूमिका
इस स्थिति पर स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि वन विभाग को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और बंदरों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही पशु चिकित्सकों की टीम को भी इस दिशा में काम करने की जरूरत है ताकि इन बंदरों को पकड़ने और उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें पुनः स्थापित किया जा सके।
ग्रामीणों ने इस संबंध में उच्च अधिकारियों से उम्मीद जताई है कि वे इस मामले को गंभीरता से लेंगे और जल्द से जल्द बंदरों के झुंड को पकड़ने के लिए कार्रवाई करेंगे।