13 घंटे 42 मिनट का रहेगा करवा चौथ व्रत

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गाजियाबाद। करवा चौथ व्रत इस वर्ष 13 घंटे 42 मिनट का रहेगा। एक नवंबर को करवा चौथ योग बना है। छह बजकर 33 मिनट पर सर्योदय के साथ व्रत का प्रारंभ होगा। रात लगभग आठ बजकर 15 मिनट पर चंद्रोदय के बाद समाप्त होगा। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। इस दिन मां गौरी व भगवान गणेश की पूजा की जाती है। महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। यह बेहद कठिन निर्जला व्रत है। व्रत की शुरुआत सरगी से होती है। करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। महिलाएं व्रत रख संध्या के समय व्रत कथा का पाठ करती हैं। चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के पाश्चत्य ही व्रत खोलती हैं। पौराणिक मान्यता है की करवा चौथ का व्रत पार्वती माता ने भगवान शिव के लिए व द्रौपदी ने पांडवों के लिए कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा था। करवा चौथ व्रत को विधिपूर्वक सम्पन्न करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त होता है। करवा माता उनके सुहाग की सदैव रक्षा कर अपना आशीर्वाद देती हैं।
पीरीयड्स में कैसे रखें व्रत?
पीरीयड्स आने पर भी अगर महिलाएं व्रत पूरा कर सकती हैं। पीरीयड्स के दौरान पूजा-पाठ का सामान स्पर्श नहीं किया जाता। ऐसे में करवा माता का मन ही मन में स्मरण करें,घर के अन्य सदस्यों से पूजा करवा लें। करवा चौथ के दिन संध्या के समय कथा-पाठ करने के बाद कलश में चांदी का सिक्का और अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। फिर इसके बाद पति के दर्शन कर जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है।


कैसे करें संध्या पूजा
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें। भगवान को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें। शाम से पहले ही गेरू से पूजा स्थान पर फलक बना लें। फिर चावल के आटे से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। इसके बजाय आप प्रिंटेड कैलेंडर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में फलक के स्थान पर लकड़ी का आसन स्थापित करें। अब चौक पर भगवान शिव व मां पार्वती के गोद में बैठे प्रभु गणेश के चित्र की स्थापना करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें। फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना न भूलें।
करवा, दीपक, कांस सींक का महत्व
करवा चौथ में भगवान शिव, मां गौरी और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। वहीं, मिट्टी के करवा, जिसमें टोटी लगी होती है, उसे गणेश जी की सूंड माना जाता है। करवा चौथ पूजा के दौरान इसी करवा में जल भरकर पूजन का महत्व है। वहीं, करवा चौथ की पूजा में चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी में दीपक रख चंद्रमा के दर्शन करने के पश्चात अपने पति का चेहरा देखती है। मान्यता है ऐसा करने से नेगेटिविटी दूर होती है और पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है। कांस की सींक शक्ति का प्रतीक है, जिसे करवा की टोटी में डालकर पूजा की जाती है।

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