15 हजार युवतियों को सिलाई-कढ़ाई सिखा आत्मनिर्भर बना चुकीं – ” सुषमा त्यागी”

Sushma Tyagi has made 15 thousand girls self-reliant by teaching them sewing and embroidery

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  • 20 साल पहले एक मशीन से शरू किया सिलाई सेंटर
  • अब 35 मशीन से तीन जगह चला रही सिलाई सेंटर

अली खान नहटौरी
गाजियाबाद।

कहते हैं कि जब आप पर परेशानियों का पहाड़ टूटे तो दोगुनी मेहनत से उनसे लड़ना चाहिए। जिला गाजियाबाद के लोनी इलाके की एक महिला पर परेशानी आई तो वह घबराई नहीं, बल्कि न सिर्फ खुद के लिए रोजगार तलाश बल्कि 15 हजार छात्राओं को आत्मनिर्भर बना दिया। अब लोग ”सुषमा त्यागी” को ‘रोजगार दीदी’ के नाम से जानते हैं। वह युवतियों और महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई और अन्य प्रशिक्षण देकर रोजगार योग्य बनातीं हैं।

Sushma Tyagi

हापुड की रहने वाली सुषमा त्यागी की शादी 1994 में मंडोला निवासी प्रवीन त्यागी से हुई। शादी के समय प्रवीन का संयुक्त परिवार था। लेकिन वर्ष 2001 में पारिवारिक समस्याओं के चलते वह पति और बच्चों के साथ बलराम नगर कालोनी में रहने लगीं। पति की नौकरी छूटने पर परिवार के सामने रुपयों की समस्या खड़ी हो गई। उन्होंने कालोनी स्थित एक टेलर की दुकान पर सिलाई के काम में साथ देने और कुछ रुपये कमाने का निश्चय किया। काम करते हुए कुछ समय गुजरा तो समाज के ठेेकेदारों ने आपत्ति दर्ज की। जिसपर उन्होेंने कार्य वहां काम करना बंद कर दिया।

कोचिंग सेंटर किया शुरू

सुषमा त्यागी बताती हैं वर्ष 2002 में उन्होंने घर में पर कोचिंग सेंटर खोला। घर-घर जाकर उन्होंने युवतियों, महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए एकत्र किया। उन्होंने 25 रुपये प्रतिमाह से प्रशिक्षण देना शुरू किया। वह बताती हैं कि यहां तक पहुंचाने में उन्हें उनके पति ने भरपूर साथ मिला। उनका साथ मिलने पर उन्होंने कभी पलट कर नहीं देखा।वह कहती हैं बिना पति के वह कुछ नहीं कर सकती थीं।

एक सिलाई मशीन से शुरू किया सफर

उन्होंने घर में रखी सिलाई मशीन से प्रशिक्षण देना शुरू किया। छात्राओं की संख्या बढ़ी तो मशीनों खरीदने की जरूरत पड़ी। लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण वह मशीन नहीं खरीद सकी। जिसपर छात्राओं ने कोचिंग सेंटर में आना बंद कर दिया। इसके बावजूद हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने मेहनत कर दो मशीने खरीदीं। इसके साथ कुछ संस्थाओं ने उन्हें मदद करते हुए मशीनें दीं। कोचिंग सेंटर में सिलाई कढ़ाई सीखने गांव-गांव से छात्राएं आने लगीं। सर्दियों में जल्दी अंधेरा होेने पर उन्हें घर जाने में परेशानी होने लगी। छात्राओं की समस्याओं को देखते हुए उन्होंने ग्रामीण छात्राओं को प्रशिक्षित देकर गांव-गांव में सेंटर खुलवाए। जहां उनकी छात्राओं ने प्रशिक्षण लेना शुरू किया। फिलहाल वह 35 मशीनों से तीन सेंटर खोल कर प्रशिक्षण दे रही हैं।

इन योजनाओं के तहत दिया प्रशिक्षण

सुषमा त्यागी बताती हैं कि उन्होंने किशोरी शक्ति योजना, नेहरू युवा केंद्र, नेहरू विकास प्रशिक्षण संस्था, खादी ग्राम उद्योग, अप्रेल डिजाइनिंग एंड ट्रेनिंग सेंटर, जिला उद्योग केंद्र, स्वामी विवेकानंद जनशिक्षण संस्थान, श्रमिक एवं रोजगार मंत्रालय की योजनाओं के तहत महिलाओं और युवतियों को प्रशिक्षण दिया है। उनका कहना है कि अभी तक वह 15 हजार से अधिक छात्राओं को सिलाई कढाई सिखा कर आत्मनिर्भर कर चुकी हैं। इनमें से कुछ घर, कारखानों, फैक्ट्रियों में सिलाई कर रहीं हैं। पूर्व एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। फिलहाल वह नगर निगम डूडा के माध्यम से मलिन बस्तियों में 20 से अधिक स्वयं सहायता का समूह का गठन कर महिलाओं को काम के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनके बनाए हर ग्रुप को सरकार से दस हज़ार रुपये का अनुदान भी प्राप्त हो चुका है।

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